नियत का फल
A1
एक गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन उसकी नीयत हमेशा साफ़ और ईमानदार थी। रामू ने कड़ी मेहनत से अपनी ज़मीन पर खेती की, लेकिन फसल हमेशा कम ही होती थी। गाँव के लोग उसकी हालत देखकर अक्सर मजाक उड़ाते थे, लेकिन रामू कभी हार नहीं मानता था।
उसकी एक ही सोच थी – "मेहनत और ईमानदारी का फल कभी न कभी जरूर मिलता है।" वह हर दिन भगवान से प्रार्थना करता और अपने काम में लगा रहता। एक दिन, गाँव में एक बड़े ज़मींदार आए, जिन्हें ज़मीन पर काम करने वाले ईमानदार और मेहनती किसानों की ज़रूरत थी। उन्होंने पूरे गाँव में ढूंढा, लेकिन कोई भी किसान उनकी ज़रूरतों के हिसाब से ईमानदार और मेहनती नहीं था।
A2
एक दिन, ज़मींदार का नौकर रामू के खेत के पास से गुजरा और देखा कि रामू अकेले अपने खेत में कड़ी मेहनत कर रहा है। नौकर ने ज़मींदार को रामू के बारे में बताया। ज़मींदार रामू से मिलने गया और उसकी ईमानदारी और कड़ी मेहनत से बहुत प्रभावित हुआ।
उन्होंने रामू को अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया। रामू ने ईमानदारी से ज़मींदार की सारी ज़मीन पर काम किया, और कुछ ही सालों में फसलें लहलहा उठीं। ज़मींदार ने खुश होकर रामू को अपने खेत का एक हिस्सा उपहार में दे दिया।
A3
अब रामू के पास न सिर्फ अपनी ज़मीन थी, बल्कि उसकी मेहनत और ईमानदारी के चलते उसकी आर्थिक स्थिति भी बहुत सुधर गई थी। गाँव के लोग जो कभी उसका मजाक उड़ाते थे, अब उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे। रामू ने उन्हें एक ही बात कही, "किसी भी काम में नीयत का फल जरूर मिलता है, बस धैर्य और ईमानदारी से काम करते रहना चाहिए।"
इस प्रकार, रामू की मेहनत और सच्चाई ने उसे जीवन में सफलता दिलाई और वह गाँव के सबसे सम्मानित लोगों में गिना जाने लगा।
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