कहानी:तक्षक और महाराज नागभट्ट की

          तक्षक और महाराज नागभट्ट की कहानी



    बहुत समय पहले की बात है, नागलोक का राजा तक्षक नामक नाग था। तक्षक अपनी शक्ति और जादू के लिए बहुत प्रसिद्ध था। उसका नागलोक बहुत ही समृद्ध और शक्तिशाली था। वहीं, पृथ्वी पर उज्जयिनी के राजा महाराज नागभट्ट ने अपने पराक्रम से समूचे क्षेत्र को एकजुट कर रखा था। वह एक महान योद्धा और ज्ञानी राजा थे, लेकिन उन्हें नागों से अत्यधिक भय था क्योंकि बचपन में एक नाग ने उनके परिवार के सदस्य को काट लिया था। तब से नागभट्ट नागों के प्रति क्रोधित रहते थे।

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     एक दिन, महाराज नागभट्ट ने सुना कि उनके राज्य की सीमा के पास नागों का एक बड़ा समूह देखा गया है, जिसकी अगुवाई स्वयं नागराज तक्षक कर रहे हैं। महाराज नागभट्ट को लगा कि नागों की सेना उनकी भूमि पर आक्रमण करने आ रही है। उन्होंने तुरंत अपनी सेना को तैयार किया और नागों से युद्ध करने की योजना बनाई।


    दूसरी ओर, तक्षक का उद्देश्य युद्ध करना नहीं था। वह केवल एक पवित्र स्थल की यात्रा करने आया था, जो नागों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। लेकिन महाराज नागभट्ट को यह गलतफहमी हो गई थी कि तक्षक उनकी भूमि पर कब्जा करने आया है। 


     युद्ध का दिन आ गया। महाराज नागभट्ट ने अपनी सेना के साथ नागों पर आक्रमण कर दिया। तक्षक को भी मजबूरन अपनी रक्षा के लिए लड़ाई में उतरना पड़ा। लेकिन नागभट्ट की सेना अत्यंत शक्तिशाली थी, और युद्ध बहुत भयंकर हो गया। तभी तक्षक ने सोचा कि युद्ध से कुछ भी हासिल नहीं होगा, इसलिए उसने महाराज नागभट्ट से वार्ता करने का निर्णय लिया।

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    तक्षक ने नागभट्ट को संदेश भेजा कि वह युद्ध नहीं, शांति चाहता है। उसने उन्हें बताया कि नागलोक का राजा होने के बावजूद उसका उद्देश्य केवल पवित्र यात्रा करना था, न कि किसी के राज्य पर कब्जा करना। 


      नागभट्ट को यह सुनकर अहसास हुआ कि उन्होंने तक्षक के इरादों को गलत समझा था। उन्होंने तक्षक के पास जाकर माफी मांगी और कहा, "मैंने अपने भय और पूर्वाग्रह के कारण आपको शत्रु समझा। लेकिन अब मुझे सत्य का पता चला है, और मैं आपकी महानता को समझता हूं।"


      तक्षक ने नागभट्ट को क्षमा कर दिया और कहा, "भय और गलतफहमी से ही युद्ध उत्पन्न होते हैं। जब हम संवाद करते हैं और सत्य को समझते हैं, तो शांति प्राप्त होती है।"


     उसके बाद तक्षक और महाराज नागभट्ट के बीच मित्रता हो गई। नागभट्ट ने नागलोक के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल लिया और दोनों राजाओं ने अपनी-अपनी प्रजा के बीच शांति और सद्भावना को बढ़ावा दिया।

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     इस प्रकार, तक्षक और महाराज नागभट्ट की कहानी यह सिखाती है कि गलतफहमियों और भय से बचने के लिए संवाद और समझ की आवश्यकता होती है, जिससे युद्ध की जगह शांति स्थापित हो सकती है। 

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