चुहिया का स्वयंवर

                       चुहिया का स्वयंवर

    एक हरे-भरे जंगल में एक छोटी चुहिया अपने माता-पिता के साथ रहती थी। उसका नाम चंदा था, और वह बहुत ही चंचल, प्यारी और तेज़-तर्रार थी। चंदा के माता-पिता उसकी शादी के लिए एक उपयुक्त वर ढूंढने का सोच रहे थे, लेकिन चंदा को लेकर वे थोड़े चिंतित भी थे। उसे अपनी पसंद का वर चाहिए था, जो उसके जैसे साहसी और समझदार हो।


    चंदा के माता-पिता ने तय किया कि वे स्वयंवर का आयोजन करेंगे। यह खबर जंगल में तेजी से फैली, और दूर-दूर से कई पशु इस स्वयंवर में भाग लेने के लिए आ गए। चंदा ने शर्त रखी कि वह केवल उसी से शादी करेगी जो उसे सबसे ज़्यादा प्रभावित कर सके और जो वास्तव में उसके योग्य हो।

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       स्वयंवर का दिन

   स्वयंवर के दिन जंगल में बहुत रौनक थी। विभिन्न जानवर अपनी पूरी तैयारी के साथ आए थे, और सभी चंदा का दिल जीतने के लिए तरह-तरह के कारनामे दिखाने के लिए तैयार थे। चंदा ने अपने माता-पिता के साथ स्वयंवर स्थल पर प्रवेश किया और सभी प्रतिभागियों को देखकर मुस्कुराई।


    पहला प्रयास: सूर्यदेव

    चंदा के माता-पिता ने पहले सूर्यदेव को आमंत्रित किया, क्योंकि वे सबसे तेज और सबसे शक्तिशाली माने जाते थे। सूर्यदेव ने अपनी तेज़ रोशनी और ऊर्जा के साथ वहां सबको प्रभावित किया। उन्होंने कहा, "चंदा, मैं सबसे शक्तिशाली हूं, मेरी गर्मी और रोशनी से पूरी दुनिया जगमगाती है। अगर तुम मुझसे विवाह करोगी, तो तुम्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी।"


   चंदा ने ध्यान से सुना और मुस्कुराते हुए कहा, "सूर्यदेव, आपकी शक्ति अद्वितीय है, लेकिन आपकी गर्मी मेरे जैसे नन्हें प्राणी के लिए सहन करना मुश्किल हो सकता है। क्या कोई है जो आपसे भी शक्तिशाली है?"


   दूसरा प्रयास: बादल

   सूर्यदेव की बात सुनकर बादल तुरंत आगे आए और बोले, "चंदा, मैं सूर्य की गर्मी को ढक सकता हूँ। जब मैं आता हूँ, तो सूर्य की रोशनी को मुझसे गुजरने नहीं देती। मेरी छांव में धरती ठंडी रहती है।"

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  चंदा ने सोचा कि यह सच में प्रभावशाली है, लेकिन फिर उसने पूछा, "क्या कोई है जो बादलों से भी शक्तिशाली हो सकता है?"


   तीसरा प्रयास: वायु

   तभी, हवा धीरे से आई और बोली, "चंदा, मैं बादलों को अपने इशारों पर चला सकती हूँ। जहाँ चाहूँ, उन्हें उड़ा सकती हूँ। मैं ही सच्ची शक्ति हूँ, जो सभी को नियंत्रित कर सकती है।"


   चंदा ने यह सुनकर सोचा, "यह बात भी सच है।" लेकिन फिर उसने सवाल किया, "क्या कोई है जो वायु से भी ज़्यादा शक्तिशाली हो?"


   चौथा प्रयास: पर्वत

    अब बारी थी पर्वत की। उसने गर्व से कहा, "चंदा, मैं हवा को रोक सकता हूँ। वह मुझसे टकराकर शांत हो जाती है। मैं अटल हूँ, स्थिर हूँ और सबसे मज़बूत हूँ। मेरे आगे किसी की शक्ति नहीं चलती।"


   चंदा ने उनकी बात मानी, लेकिन सोच में पड़ गई। तभी उसे एक हल्का सा खयाल आया। उसने पर्वत से पूछा, "क्या कोई है जो आपसे भी मजबूत हो?"




     पांचवा प्रयास: छोटी चुहिया

    अब तक चुहिया के माता-पिता भी हैरान थे कि चंदा किसी को चुन क्यों नहीं रही है। तभी एक बूढ़ी चुहिया धीरे से मुस्कुराते हुए सामने आई और बोली, "बेटी चंदा, पर्वत कितना भी मजबूत हो, लेकिन हम चुहिया उसकी मिट्टी में बिल बनाकर उसे भी चुनौती दे सकते हैं। हमारी ताकत भले ही छोटी हो, लेकिन हमारी समझदारी और मेहनत से हम सब पर जीत हासिल कर सकते हैं।"

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    यह सुनकर चंदा का चेहरा खिल उठा। उसे महसूस हुआ कि असली शक्ति किसी के आकार में नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और समझदारी में होती है। उसने अपने माता-पिता की ओर देखा और बोली, "मुझे मेरा जीवनसाथी मिल गया। मैं भी एक चुहिया से ही शादी करना चाहती हूँ, क्योंकि हमारे जैसे छोटे-से प्राणी में भी बहुत ताकत और समझदारी होती है।"


   चंदा का निर्णय

    चंदा ने समझ लिया कि असली शक्ति का मतलब केवल बाहरी ताकत नहीं, बल्कि आत्मबल और विवेक भी होता है। उसके माता-पिता ने चुहिया का यह निर्णय स्वीकार किया और पूरे जंगल ने उनके निर्णय की सराहना की।





    चंदा और उस चुहे की शादी धूमधाम से हुई। यह स्वयंवर जंगल में चर्चा का विषय बना और सबने चंदा की समझदारी की प्रशंसा की।

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   कहानी की सीख

    इस कहानी से यह सीख मिलती है कि असली ताकत बाहरी शक्ति में नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वास और बुद्धिमानी में होती है। जब हम अपनी ताकत को समझकर उसका सही उपयोग करते हैं, तब हम किसी से भी मुकाबला कर सकते हैं, चाहे वो कितना भी बड़ा क्यों न हो।

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